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पदार्थो की अवस्थाएं (State of Matter ) पार्ट-2 || Chemistry || Ncert Notes

पदार्थो की अवस्थाएं (State of Matter ).पदार्थ तीन अवस्थाओं- ठोस, द्रव और गैस में पाये जाते हैं। ताप और दाब की दी गई निश्चित परिस्थितियों में, कोई पदार्थ किस अवस्था में रहेगा यह पदार्थ के कणों के मध्य के दो विरोधी कारकों अंतराआण्विक बल और उष्मीय ऊर्जा के सम्मिलित प्रभाव पर निर्भर करता है। हमारी वेबसाइट https://sikshakendra.com/पर बने रहे 

पदार्थो की अवस्थाएं (State of Matter ) पार्ट-2 || Chemistry || Ncert Notes

पदार्थो की अवस्थाएं (State of Matter )

  • पदार्थों की भौतिक अवस्थाओं में परिवर्तनः

एक ही पदार्थ तीनों भौतिक अवस्थाओं में रह सकता है। पदार्थ की तीनों बहुतिक अवस्थाओं में अंग्राकित सामी होता है –

ठोस गर्म करने पर / ठंडा करने पर

द्रव = गर्म करने पर / ठंडा करने पर गैस

नोट: पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज्मा एवं पांचवी अवस्था बोस-आइन्स्टाइन कनसेट है।

रासायनिक संघटन के आधार पर संसार के समस्त पदार्थ को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है – तत्व, यौगिक और मिश्रण

  • तत्व (Element):

तत्व वह मौलिक पदार्थ है, जिसे किसी भी भौतिक या रासायनिक विधि द्वारा न तो दो या दो से अधिक सर्वथा भिन्न गुणों वाले पदार्थों में विभाजित किया जा सकता है, और न ही दो या दो से अधिक पदार्थों के बीच संयोग कराकर संश्लेषित किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, वह पदार्थ जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है, ‘तत्व’ कहलाता है। इलेक्ट्रानिक संरचना के अनुसार तत्व वह पदाथ है, जिसके प्रत्येक परमाणु का नाभिकीय आवेश समान होता है। हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सोडियम, लोहा, तांबा, सोना, चांदी, प्लेटिनम आदि तत्वों के प्रमुख उदाहरण है।

  • तत्व दो प्रकार के होते हैं-धातु (Metal) और अधातु (Non-Metal)
  1. धातु तत्व विद्युत और ऊष्मा के सुचालक होते हैं तथा ये ठोस अवस्था में आघातवर्द्धनीय (Malleable) और तन्य (Ductile) होते हैं। लोहा, तांबा एल्युमिनियम,, चांदी, सोना, प्लैटिनम आदि धातु हैं।
  2. अधातु तत्व विद्युत और उष्मा के कुचालक होते हैं। साथ ही साथ अधातु तत्व भुरभुरे (Brittle) होते है और प्रहार करने पर चूर-चूर हो जाते हैं। गंधक, फास्फोरस, ऑक्सीजन, ब्रोमीन इत्यादि अधातु है।

भौतिक अवस्था के आधार पर तत्वों को ठोस तत्व, द्रव तत्व तथा गैस तत्व में विभाजित किया गया है। अधिसंख्य तत्व ठोस रूप में ही पाए जाते हैं। (जैसे-लोहा, सोना, तांबा, कार्बन, गंधक आदि) कुछ तत्व द्रव्य के रूप में पाए जाते है। (जैसे- पारा, ब्रोमीन आदि), जबकि कुछ तत्व गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं। (जैसे – हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, क्लोरिन आदि) वर्तमान समय में  है। 112 तत्वों की खोज की जा चुकी है इनमें से 92 तत्व प्रकृति में पाए जाते है, जबकि शेष अन्य तत्व वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोगशालाओं में कृत्रिम तरीकों से संश्लेषित किए

पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रमुख तत्व एवं उनका प्रतिशत :-

  • ऑक्सीजन – 46.71%
  • सिलिकन – 27.69%
  • एलुमिनियम – 8.07%
  • लोहा – 5.05%
  • कैल्सियम – 3.65%
  • सोडियम – 2.75%
  • पोटेशियम – 2.58%
  • मैग्नीशियम – 2.08%
  • अन्य – 2.42%

सामान्य मानव शरीर में तत्वों की औसत मात्रा

  • ऑक्सीजन – 65.0%
  • कार्बन – 18.0%
  • हाइड्रोजन – 10.0%
  • नाइट्रोजन – 3.0% –
  • कैल्सियम – 2.0%
  • फास्फोरस – 1.0%
  • पोटेशियम – 0.35%
  • सल्फर – 0.25%
  • सोडियम – 0.15%
  • क्लोरीन – 0.15%
    मैग्नीशियम – 0.05%
  • लोहा – 0.004%
  • अन्य तत्व – 0.046%

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  • यौगिक (Compound):-

यौगिक वह शुद्ध पदार्थ है, जो दो या दो से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बनता है और जिसे उचित रासायनिक विधियों द्वारा दो या दो से अधिक सर्वथा भिन्न गुणों वाले अव्यवों (या अवयव तत्वों) में विभक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जल एक यौगिक है। जल का प्रत्येक अणु सहाइड्रोजन के दो परमाणुओं तथा ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना होता है। किसी भी स्त्रोत से प्राप्त शुद्ध जल या किसी भी विधि से निर्मित जल के प्रत्येक अणु में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के परमाणुओं का अनुपात सदैव 2:1 होता है। भार के विचार में यह अनुपात 1:8 होता है। जल के भौतिक और रासायनिक बन इसके अवयवी तत्वों – हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के गुणों से सर्वथा भिन्न होते हैं।

  • मिश्रण (Mixture):

मिश्रण वह अशुद्ध पदार्थ हैं, जो दो या दो से अधिक शुद्ध पदार्थों (तत्वों या यौगिकों या दोंनों) के किसी भी अनुपात के बिना रासायनिक संयोग के मिलने से बनता है तथा जिसके अवयवी पदार्थो को सरल, यांत्रिकya भौतिक विधियों द्वारा पृथक किया जा सकता है । उदहारण : 

(a) वायु अनेक गैसों एवं धुलकणों का मिश्रण है। वायु के अवयवी गैसों में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साईड और जलवाष्प प्रमुख है।

(b) समुद्री जल कई लवणों का जल में मिश्रण है, जिसमें सोडियम क्लोराइड प्रमुख लवण है।

(c) पीतल (Brass) तांबा और जस्ता का मिश्रण होता है।

  • मिश्रण के प्रकार :

मिश्रण के अवयवी पदार्थों की प्रकृति तथा बने मिश्रण के गुण एवं संघटन पर मिश्रण को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है – 

  1. समांग मिश्रण (Homogeneous Mixture): वह मिश्रण जिसके प्रत्येक बहाग में उसके अवयवी पदार्थों का संघटन एवं गुण समान होता है, ‘समांग मिश्रण’ कहलाता है। चीनी का जल में विलयन, नमक का जल में विलयन, गंधक का कार्बन
    डाईसल्फाईड में विलयन, अमोनिया गैस का हवा में विलयन आदि समांग मिश्रण के उदाहरण है। 
  2. असमांग मिश्रण (Heterogeneous Mixture): यह मिश्रण जिसके विभिन्न भागों में उसके अवयवी पदार्थों का संघटन एवं गुण एक-से नहीं होते हैं,; असमांग मिश्रण’ कहलता है। लोहा एवं गंधक, धूलकण का हवा में मिश्रण आदि असमांग मिश्रण के उदाहरण हैं। सामान्यतः एक असमांग मिश्रण के अवयवी पदार्थों को एक दुसरे से अलग करना एक समांग मिश्रण की तुलना में अधिक आसान होता है।

पदार्थ के अवयवी कण : अणु और परमाणु

  • अणु (Molecule):

अणु (Molecule): किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है, परन्तु रासायनिक अभिक्रियाओं (प्रतिक्रियाओं) में भाग नहीं ले सकता है, तथा जिसमें उस पदार्थ के सभी गुण विद्यमान रहते हैं, अणु कहलाता है।n एक पदार्थ के सभी अणु हर प्रकार (द्रव्यमान, आकार, गुण आदि) से एक – दूसरे के सदृश होते हैं। इसके विपरीत, किन्ही दो पदार्थों के अणु एक- दूसरे से सर्वथा भिन्न होते हैं। उदाहरण के लिए, जल (H2O) के सभी अणु सदृश होते हैं। जल के प्रत्येक अणुका सापेक्ष द्रव्यमान 18 होता
है। इसके अणुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुण, इसके आकार आदि पूर्णतया समरूप होते हैं। इसी प्रकार नमक (NaCl) के सभी अणु सदृश होते हैं। नमक के प्रत्येक अणु का सापेक्ष द्रव्यमान 58.5 होता है तथा इसके सभी अणु आकार, गुण आदि में सदृश होते हैं, परन्तु जल के अणु तथा नमक के अणु एक-दूसरे से पूर्णतया भिन्न होते हैं।

            अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को ‘अंतर आण्विक आकर्षण बल’ कहा जाता है। इसी बल के कारण पदार्थ के अनगिनत अणु ठोस एवं द्रव अवस्था के साथ जुड़े रहते हैं, परन्तु, पदार्थ को गैसीय अवस्था में बदल देने पर प्रत्येक अणु एक दूसरे से अलग हो जाते हैं।

  • अणु दो प्रकार के होते हैं :
  1. तत्व के अनु एवं
  2. यौगिक के अणु

जब एक ही तत्व के एक से अधिक परमाणु मिलकर उसके सूक्ष्मतम स्वतंत्र कणों का निर्माण करते हैं, तो ये कण ‘तत्व के अणु’ कहलाते हैं। उदाहरण के लिए – हाइड्रोजन का अणु (H2) हाइड्रोजन के दो परमाणुओं से मिलकर बना होता है।

जब एक से अधिक तत्वों के परमाणु परस्पर मिलकर सूक्ष्मतम स्वतंत्र कणों का निर्माण करते हैं, तो ये कण ‘यौगिक के अणु’ कहलाते हैं। उदाहरण
के लिए, मीथेन (CH4) का प्रत्येक अणु कार्बन के एक परमाणु तथा हाइड्रोजन के चार परमाणुओं से मिलकर बना होता है।

  • परमाणु (Atom):

किसी पदार्थ (तत्व) का वह संभव सूक्षमतम कण जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता है, परन्तु रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है तथा जिसमें उस पदार्थ के सभी गुण विद्यमान रहते हैं, ‘परमाणु’ कहलाता है।

डाल्टन के अनुसार परमाणु अविभाज्य था, परन्तु आधुनिक आविष्कारों से यह ज्ञात हो चूका है कि परमाणु भी सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है, जिनसे इलेक्ट्रान, प्रोटान एवं न्यूट्रान मुख्य है। किसी तत्व के सभी परमाणु समरूप एवं सदृश होते हैं, किन्तु वे दुसरे तत्व के परमाणुओं से बिलकुल भिन्न होते हैं। एक तत्व के परमाणु का भार भी दूसरे तत्व के परमाणु के भार से भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन के सभी परमाणु समरूप एवं सदृश होते हैं और कार्बन के सभी परमाणु समरूप एवं सदृश होते हैं, किन्तु हाइड्रोजन और कार्बन के परमाणु एक दूसरे से पूर्ण रूप से भिन्न होते हैं।

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  • मिश्रणों का प्रिथक्करण (Separation of Mixture):

मिश्रण में उपस्थित घटकों को विभिन्न विधियों द्वारा अलग-अलग किया जाता है। मिश्रणों के पृथक्करण की कुछ सामान्य विधियां निम्नलिखित है –

          1. क्रिस्टल (Crystallisation):

क्रिस्टलन विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोसों में उपस्थित घटकों का पृथक्करण एवं शुद्धिकरण किया जाता है। इसमें उपस्थित अशुद्ध ठोस या मिश्रण को उचित विलायक के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तथा गर्म अवस्था में ही इस विलयन को फनल (Funnel) द्वारा छाना जाता है। छानने के पश्चात विलयन को ठंडा किया जाता है। ठंडा होने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टल के रूप में विलयन के पृथक हो जाता है और इसमें उपस्थित अशुद्धियों मातृ द्रव में घुली रह जाती है। इन क्रिस्टलों को छानकर अलग कर सुखा लिया जाता है।

         2. आसवन (Distillation):

आसवन विधि द्वारा मुख्यतः द्रवों के मिश्रण को पृथक किया जाता है। जब दो द्रवों के क्वथनांको में अंतर अधिक होता है तो तो उनके मिश्रण को इस विधि से पृथक किया जाता है। आसवन विधि में द्रव को वाष्प में परिणत कर किसी दुसरे स्थान में भेजा जाता है, जहाँ उसे ठंडा कर पुन : द्रव अवस्था में परिवर्तित कर लिया जाता है। आसवन विधि में पहला प्रक्रम ‘वाष्पन’ तथा दूसरा प्रक्रम ‘संघनन’ कहलाता है।

         3. उर्ध्वपातन (Sublimation): 

सामान्यतः ठोस पदार्थों को गर्म करने पर वे द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं और उसके पश्चात गैसीय अवस्था में, लेकिन कुछ ठोस पदार्थ ऐसे होते हैं, जिन्हें गर्म किए जाने पर वे द्रव अवस्था में आने के बदले सीधे वाष्प में परिणत हो जाते हैं और वाष्प को ठंडा किए जाने पर यह पुनः ठोस अवस्था में हो जाते हैं। ऐसे पदार्थोंको ‘उर्ध्वपातज’ (Sublimate) कहा जाता है व इस प्रकार की क्रिया ‘उर्ध्वपातन’ (Sublimation) कहलाती है। इस विधि के द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण में से उसको पृथक करते हैं, जिसमें एक ठोस उर्ध्वपातज होता है दूसरा नहीं। ऐसे ठोसों के मिश्रण को गर्म करने पर उर्ध्वपातज ठोस सीधे वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इस वाष्प को अलग ठंडा कर लिया जाता है। इस प्रकार दोनों ठोस पृथक हो जाते हैं। इस विधि के द्वारा कपूर, नेप्थलीन, अमोनियम
क्लोराइड, एन्थ्रासीन, बेन्जोइक अम्ल पदार्थ शुद्ध किए जाते हैं।

         4. प्रभाजी आसवन (Fractional Distillation): 

प्रभाजी आसवन विधि के द्वारा उन मिश्रित द्रवों का पृथक्करण किया जाता है, जिनके क्वथनांको में बहुत कम का अंतर होता है। दूसरे शब्दों में द्रवों के क्वथनांक एक-दूसरे के समीप होते हैं। भूगर्भ से निकाल गए खनिज तेल से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिटटी का तेल आदि इसी विधि द्वरा पृथक किए जाते हैं। जलीय वायु (Liquid air) से विभिन्न गैसें भी इसी विधि द्वारा पृथक किए जाते हैं।

         5. वर्णलेखन (Chromatography):

वर्णलेखन विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अधिशोषण क्षमता भिन्न-भिन्न होती है तथा वे किसी अधिशोषक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अधिशोषित होते हैं और इस प्रकार पृथक कर लिए जाते हैं।

         6. भाप आसवन (Steam Distillation):

भाप आसवन विधि के द्वारा ऐसे कार्बनिक पदार्थों का शुद्धिकरण किया जाता है जो जल में अघुलनशील,परन्तु वाष्प के साथ वाष्पशील होते हैं। इस विधि के द्वारा विशेष रूप में उन पदार्थों का शुद्धिकरण किया जाता है, जो अपने क्वथनांक पर अपघटित हो जाते हैं, कार्बनिक पदार्थों जैसे एसीटोन, मैथिल एल्कोहल, एसिटलिडहाइड आदि का शुद्धिकरण भाप आसवन विधि द्वारा ही किया जाता है।”

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