पाठ 5 . जीवन की मौलिक इकाई
अध्याय – समीक्षा
शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को कोशिका कहते हैं |
यही सभी सजीवों की मुलभुत इकाई है |
सभी सजीव कोशिका से बने हैं |
कोशिका हमारे शरीर को आकार प्रदान करता है इसलिए यह शरीर का संरचनात्मक इकाई है |
शरीर के सभी कोशिकीय स्तर पर होते है इसलिए यह शरीर का क्रियात्मक इकाई है |
कोशिका का सबसे पहले पता राबर्ट हुक ने 1665 में लगाया था | राबर्ट ब्राउन ने 1831 में कोशिका में केन्द्रक का पता लगाया |
वे जीव जो एक ही कोशिका के बने होते हैं एवं स्वयं में ही एक सम्पूर्ण जीव होते है एक कोशिका जीव कहलाते हैं | जैसे – अमीबा , पैरामीशियम , क्लेमिरोमोनस और बैक्टीरिया ( जीवाणु ) आदि |
वे जीव जिनमें अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न कार्य को सम्पन्न करने हेतु विभिन्न अंगो का निर्माण करते है , बहुकोशिकीय जीव कहलाते है |
कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं :
(i) कुछ कोशिकाएँ अपनी आकार बदलती रहती हैं – जैसे : अमीबा
(ii) कुछ जीवों में कोशिका का आकार स्थिर रहता है – तंत्रिका कोशिका |
प्लाज्मा झिल्ली : यह कोशिका की सबसे बाहरी परत है जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है | प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है और कार्बनिक अणुओं जैसे लिपिड (phospolipids) तथा प्रोटीन के दो परतों से बनी होती है |
अमीबा जिस प्रक्रिया से भोजन ग्रहण करता है उसे इंडोसाइटोसिस कहते है |
विसरण एक कोशिकाओं में होने वाली प्रक्रिया है जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड जैसे गैसीय पदार्थों के अणुओं का परिवहन वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली केद्वारा होता है | यह प्रक्रिया विसरण कहलाती है |
जल के अणुओं की गति वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो तो उसे परासरण कहते है |
केन्द्रक कोशिका का सबसे बड़ा कोशिकांग है जो कोशिका के अंदर पाया जाता है | गुणसूत्र (chromosomes) कोशिका के केन्द्रक में ही पाया जाता है , जो सिर्फ कोशिका विभाजन के समय ही दिखाई देते है |
केन्द्रक के चरों और दोहरे परत का एक स्तर होता है जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते है | केन्द्रक झिल्ली में छोटे – छोटे छिद्र होते है | इन छद्रों के द्वारा केन्द्रक के अंदर का कोशिकाद्रव्य केन्द्रक के बाहर जा पाता है |
गुणसूत्र एक छड़ाकार (cylindrical) सनेचना होती है जो कोशिका के केन्द्रक में पाया जाता है , ये कोशिका विभाजन के समय दिखाई देते हैं गुणसूत्र ( क्रोमोसोम ) में अनुवांशिक गन होते हैं जो माता – पिता से डीएनए (DNA) अनु के रूप में अगली संतति में जाते है |
क्रोमोसोम DNA तथा प्रोटीन के बने होते है |
DNA अनु में कोशिका के निर्माण व् संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती हैं |
DNA के क्रियात्मक खंड को जीन कहते हैं |
जो कोशिका , कोशिकायें विभाजन की प्रक्रिया में भाग नहीं लेती हैं उसमें यह DNA क्रोमैटिन पदार्थ के रूप में विद्यमान रहता है |
कोशिका विभाजन के दौरान केन्द्रक भी दो भागों में विभक्त हो जाता है |
नयी कोशिका में जनक कोशिका के ही सभी गुण मौजूद रहते है |
यह कोशिका के विकास एवं परिपक्वन को निर्धारित करता है |
साथ ही साथ सजीव कोशिका की रासायनिक क्रियाओं को भी निर्देशित करता है |
प्रोकैरियोटिक कोशिका : जीन कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है उन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिका कहते है | ऐसी कोशिकाएँ जीवाणुओं में पाई जाती है |
यूकैरियोटिक कोशिका : जीन कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली पाई जाती है उन्हें यूकैरियोटिक कोशिका कहते है | शैवाल , एवं अन्य सभी बहुकोशिक जीवों की कोशिका |
प्रत्येक कोशिका के जीवद्रव्य में अनेक छोटे – छोटे कोशिका के विशिष्ट घातक पाए जाते है जो कोशिका के लिए विशिष्ट कार्य करते हैं | इन्हें ही कोशिकांग (organells) अर्थात कोशिका अंगक कहते है | जैसे – माइटोकांड्रिया , गाल्जी उपकरण , तारक केंद्र , लाइसोसोम , राइबोसोम , तथा रिक्तिका आदि ये सभी कोशिकांग हैं |
कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक दोनों को मिलाकर जीवद्रव्य कहते हैं |
अल्पपरासरण दाबी विलयन (Hypotonic Solution) : यदि कोशिका को तनु (dilute) विलयन वाले माध्यम अर्थात जल में शक्कर अथवा नमक की मात्रा कम और जल की मात्रा ज्यादा है , में रखा गया है तो जल परासरण विधि द्वारा कोशिका के अंदर चला जाएगा | ऐसे विलयन को अल्पपरासरण दाबी विलयन कहते है |
समपरासारी दाबी विलयन (Isotonic Solution) : यदि कोशिका को ऐसे माध्यम विलयन में रखा जाए जिसमें बाह्यय जल की सांद्रता कोशिका में स्थिर जल की सांद्रता के ठीक बराबर हो तो कोशिका झिल्ली से जल में कोई शुद्ध गति नहीं होगी | ऐसे विलयन को समपरासारी दाबी विलयन कहते हैं |
अतिपरासरण दाबी विलयन (Hypertonic Solution) : यदि कोशिका के बाहार वाला विलयन अंदर के घोल से अधिक सांद्र है तो जल परासरण दवारा कोशिका से बाहार आ जायेगा | ऐसे विलयन को अतिपरसरण दाबी विलयन कहते हैं |
कोशिका भित्ति के वल पादप कोशिकाओं में ही पाई जाती है जो कि यह मुख्यतः सेल्यूलोज (Cellulose) कि बनी होती है | यह पौधों को संरचनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है |
राइबोसोम कोशिका द्रव्य में मुक्त अवस्था में पाई जाने वाली आकृति कि संरचना होती है | ये कोशिका द्रव्य में मुक्त रूप से पाई जा सकती है अथवा अंतर्द्रव्य जालिका (ER) से जुडी हो सकती हैं | राइबोसोम को कोशिका का प्रोटीन – फैक्ट्री भी खा जाता है , क्योंकि यह प्रोटीन बनाता है |
लाइसोसोम कोशिका का अपशिष्ट निपटान वाला तंत्र है | यह झिल्ली से घिरी हुई संरचना है | लाइसोसोम बाहरी पदार्थो के साथ – साथ कोशिकांगों के टूटे – फूटे भागों को पाचित करके साफ करता है | लाइसोसोम में बहुत शक्तिशाली पाचनकारी एन्जाइम होते है जो सभी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ सकने में सक्षम है |
माइटोकॉन्ड्रिया दोहरी झिल्ली वाली कोशिकांग है बाहरी झिल्ली छिद्रित होती है एवं भीतरी झिल्ली बहुत अधिक वलित (rounded) होती है | इसमें उसका अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं | अतः माइटोकॉन्ड्रिया अपना कुछ प्रोटीन स्वयं बनाते हैं | इसलिए माइटोकॉन्ड्रिया अद्भुत अंगक है |
प्लैस्टिड केवल पादप कोशिकाओं ने स्थित होते है | प्लैस्टिड कि भीतरी रचना में बहुत – सी झिल्ली वाला परतें होती है जो स्ट्रोमा में स्थिर होती है | प्लैस्टिड बाह्यय रचना में माइटोकॉन्ड्रिया कि तरह होते है | माइटोकॉन्ड्रिया कि तरह प्लैस्टिड में भी अपना DNA तथा राइबोसोम होते है |
रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों कि संग्राहक थैलियाँ हैं | जन्त्तु कोशिकाओं में रसधानियाँ छोटी होती है जबकि पादप कोशिकसों में रसधानियाँ बहुत बड़ी होती है | कुछ पौधों कि कोशिकाओं कि रसधानी कि मैप कोशिका के आयतन का 50% से 90% तक होता है |
अभ्यास – प्रश्न
Q1 . कोशिका किसे कहते है ?
उत्तर – शरीर कि संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को कोशिका कहते हैं |
Q2 . कोशिका की खोज किसने और कैसे की ?
उत्तर – कोशिका का सबसे पहले पता रार्बट हुक ने 1665 में लगाया था | उसने को पतली काट में अनगढ़ सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा |
Q3 . CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका के अंदर और बाहर कैसे आते हैं ?
उत्तर – विसरण प्रक्रिया द्वारा |
Q4 . अमीबा अपना भोजन कैसे ग्रहण करता हैं ?
उत्तर – एण्डोसाइटोसिस प्रक्रिया द्वारा |
Q5 . एण्डोसाइटोसिस क्या हैं ?
उत्तर – एक कोशिकीय जीवों में कोशिका झिल्ली के लचीलेपन के कारण जीव बाह्यय पर्यावरण से अपना भोजन ग्रहण करते हैं और कोशिका झिल्ली पुनः अपने पूर्व अवस्था में आ जाता हैं | इसके बाद कोशिका पदार्थ ग्रहण कर पचा जाता हैं | इस प्रक्रिया को एण्डोसाइटोसिस कहते हैं
Q6 . प्लाज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते है ?
उत्तर – प्लाज्मा झिल्ली कुछ पदार्थो को अंदर अथवा बाहर जाने देती हैं | यह अन्य पदार्थो की गति को भी रोकती है | प्लाज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली कहते है |
Q7 . परासरण क्या है ?
उत्तर – जल के अणुओ की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो तो उसे परासरण कहते हैं |
Q8 . सेल्यूलोज क्या है ? सेल्यूलोज कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर – सेल्यूलोज एक बहुत जटिल पदार्थ है | जो पौधो में पाया जाता है | पादप कोशिका भित्ति मुख्यतः सेल्यूलोज की बनी होती है |
Q9 . जीवद्रव्य कुंचन किसे कहते है ?
उत्तर – जब किसी पादप कोशिका में परासरण द्वारा पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते है | इस घटना को जीवद्रव्य कुंचन कहते है |
Q10 . DNA का पूरा नाम लिखो |
उत्तर – DNA का पूरा नाम डिऑक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड है |
Q11 . ATP क्या है ? ATP का पूरा लिखें |
उत्तर – ATP क्या है ? ATP का पूरा नाम लिखें |
Q12 . कोशिका के किस अंगक में आनुवांशिक गुण होता है ?
उत्तर – क्रोमोसोम में |
Q13 . ऐसे दो अंगकों का नाम बताइए जिनमें अपना आनुवांशिक पदार्थ होता है ?
उत्तर –
- माइटोकॉन्ड्रिया ( जंतुओं में )
- प्लैस्टिड ( पादपों में )
Q14 . लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते है ?
उत्तर – कोशिकीय चयापचय में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती हैं , तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एन्जाइम अपनी ही कोशिका को पाचित कर देतें हैं इसलिए लाइसोसोम को आत्मघाती थैली कहते हैं |
Q15 . कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर – माइटोकॉन्ड्रिया में |
Q16 . प्रोकैरियोटि कोशिका और यूकैरियोटि कोशिका में क्या अंतर् है ?
उत्तर –
प्रोकैरियोटि कोशिका :
- आकार प्रायः छोटे होता है |
- इनकी कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है |
- क्रोमोसोम एक होता है |
- अधिकांश द्रव्य अंगक नहीं होते है |
यूकैरियोटि कोशिकाः
- आकार प्रायः बड़ा होता है |
- इनकी कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली होती है |
- क्रोमोसोम एक से अधिक होता है |
- अधिकांश द्रव्य अंगक होते है
Q17 . पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर ज्ञात करो |
उत्तर –
पादप कोशिका :
- इसमें कोशिका भित्ति होती है |
- इसमें हरित लवक उपस्थित होते है |
- इनमें प्रकाश संश्लेषण होता हैं |
- ये प्रायः बड़े आकार की होती हैं |
जंतु कोशिका :
- इसमें कोशिका भित्ति नहीं होती हैं |
- इसमें हरित लवक अनुपस्थित होते है |
- इनमे प्रकाश संश्लेषण नहीं होता हैं |
- ये प्रायः छोटे आकार की होती हैं |
Q18 . कोशिका को जीवन की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई क्यों कहते है ?
उत्तर – कोशिका से प्रत्येक जीव बने हैं और प्रत्येक जीवित कोशिका की मुलभुत संरचना और कार्य करने की क्षमता होती है जो सभी सजीवों का गुण हैं | इनमें पाए जाने वाले कोशिकांग लगातार विशिष्ट कार्य करते रहते है जिससे सजीव का जीवन चलना रहता हैं | अंत कोशिका को जीवन की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई कहते है |
Q19 . किस कोशिकांग को कोशिका का बिजली घर कहते है ? और क्यों ?
उत्तर – माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का बिजलीघर कहते है | माइटोकॉन्ड्रिया ऊर्जा प्रदान करते हैं और यह आवश्यक उपयोगी ऊर्जा संचित होती है | माइटोकॉन्ड्रिया के पास अपना DNA तथा राइबोसोम होता है | अतः माइटोकॉन्ड्रिया अपना कुछ प्रोटीन स्वंय बनाते है |
Q20 . विसरण प्रक्रिया क्या है ? कोशिकाओं में यह कैसे संपन्न होता है ?
उत्तर – विसरण एक कोशिकाओं में होने वाली प्रक्रिया हैं जिसमें ऑक्सीजन , कार्बन डाइऑक्साइड जैसे पदार्थो का परिवहन होता है | इसे विसरण प्रक्रिया कहते है | कोशिका में CO2 जैसे कोशिकीय अपशिष्ट निष्कासन आवश्यक होता है | धीरे – धीरे एकत्र होने से कोशिका के अंदर CO2 की सान्द्रतां बढ़ जाती हैं जबकि कोशिका के बाहार CO2 की सांद्रता अंदर की अपेक्षा कम होती है जिससे कोशिका के अंदर दाब बढ़ जाता हैं | जिससे CO2 कोशिका से बाहर की और निकलने लगता है | इसी प्रकार जब कोशिका में ऑक्सीजन की सांद्रता कम हो जाती है तो ऑक्सीजन बाहर से कोशिका में विसरण द्वारा अंदर चली जाती है