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अम्ल, भस्म और लवण : Acid, Bases & Salt Chemistry class 07

  अम्ल, भस्म और लवण : Acid, Bases & Salt Chemistry class 07  है .  अम्ल (Acids): अम्ल के यौगिक पदार्थ है, जिसमें एक वा एक से अधिक विस्थापनशील हाइड्रोजन परमाणु विद्यमान हो तथा जिन्हें अंशतः या पूर्णतः धातुओं या धातुओं का सदूश आचरण करने वाले मूलकों द्वारा विस्थापितः करने पर लवण का निर्माण होता है, जो क्षारक या खार में अभिक्रिया। कर लवण एवं जन बनाते हों, जिनके जती जतीय पोल नीले लिटमस को लात करते हों तथा हे स्वाद में खड़े हों।अम्ल, भस्म और लवण के बारे में अधिक जानकारी के लिए दिए गए link  पर click  करे  https://subject.gyantu.com/

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अम्ल, भस्म और लवण : Acid, Bases & Salt Chemistry class 07

अम्ल, भस्म और लवण  : Acid, Bases & Salt Chemistry class 07

  • अम्ल (Acids):

अम्ल एक यौगिक पदार्थ है, जिसमें एक या  एक से अधिक विस्थापनशील हाइड्रोजन परमाणु विद्यमान हो तथा जिन्हें अंशतः या पूर्णतः धातुओं या धातुओं का सदूश आचरण करने वाले मूलकों द्वारा विस्थापितः करने पर लवण का निर्माण होता है, जो क्षारक या क्षार  में अभिक्रिया कर लवण एवं जल  बनाते हों, जिनके जलीय घोल नीले लिटमस को लात करते हों तथा हे स्वाद में खट्टे  हों।

अम्ल के गुणः

1. अम्ल  स्वाद में खट्टा  होता है।

2. अच्छे एवं प्रबल अम्ल विधुत  के सुचालक  होते हैं।

3. अम्ल धातु  से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।

4. भस्म  एवं क्षार से प्रतिक्रिया करके लवण और जल बनाता है।

5. नीले लिटमस पत्र तथा मिथाइल ऑरेंज  को लाल कर देता है।

  • अम्ल सम्बन्धी  विचारधाराएं

(a) आरहेनियन का आपनिक सिद्धांत (Anheniu’s lonic Theory), अम्ल वह पदार्थ है, जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन  देता है।

(b) बान्ससटेड और लॉरी का सिद्धांत (Bronsted And Lowry Theory) इस सिद्धांत के अनुसार अम्ल वे  पदार्थ है, जो किसी दूसरे पदार्थ को प्रोटोन प्रदान करने की क्षमता रखते है ।

 (c) लीविस का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत (Lewis’s Electronic Theory): इस सिद्धांत के अनुसार अम्ल वह पदार्थ (अणु, आयन या मूलक) है. जिसमें इलेक्ट्रान का एक निर्जन युग्म ( lone pair) स्वीकार करने की प्रवृति होती है । 

  • अम्लों  का वर्गीकरण (Classification of Acids). अम्ल  दो प्रकार के होते हैं:

1. ऑक्सी अम्ल (Oxy Acids): जिन अम्लों में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन दोनों उपस्थित रहते हैं, उन्हें ऑक्सी अम्ल कहते हैं। जैसे सल्फ्यूरिक अम्ल, फास्फोरिक अम्ल,नाइट्रिक अम्ल, नाइट्रस अम्ल  आदि।

2. हाइड्रा जमत (Hydra Acids): जिन अम्लों में केवल हाइड्रोजन उपस्थित रहता है, हाईड्रा अम्त कहता है। हाइड्रा अन्त में ऑक्सीजन अनुपस्थित होता है। जैसे- हाइड्रोक्लोरिक अम्त (HCI), हाइड्रोब्रोमिक अम्ल (HB), हाइड्रोपोडिक अम्ल (HI), हाइड्रोसायनिक अम्ल (HCN) आदि।

  • अम्लों के उपयोग

(a) सल्फ्यूरिक अम्ल  का उपयोगः पेट्रोलियम के शोधन  में, कई प्रकार के विस्फोटक बनाने में, रंग व औषधियां बनाने में संचायक बैटरियों में आदि।

(b)नाइट्रिक अम्ल  का उपयोग औषधियों के निर्माण में, उर्वरक बनाने में, फोटोग्राफी में, विस्फोटक पदार्थों के निर्माण में, अम्लराज  बनाने में, प्रयोगशाला में अभिकर्मवक के रूप में आदि।

(c) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल  का उपयोग प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में, अम्लराज  बनाने में, रंग एवं औषधि निर्माण में आदि। 

(d) एसिटिक अम्ल  का उपयोग :विलायक के रूप में, सिरका निर्माण में , एसीटोन बनाने में, खट्टे खाद्य पदार्थ बनाने में आदि।

(e) फार्मिक अम्ल का उपयोग जीवाणुनाशक के रूप में, फलों की संरक्षित करने में, रबड़ के स्कंदन में, चमड़ा उधोग  में आदि।

(f ) ओक्जेलिक अम्ल  का उपयोग : फोटोग्राफी में, कपड़ों की छपाई व रंगाई में चमड़े के विरंजक के रूप में, कपड़े पर स्याही के धब्बे को हटाने में आदि।

(g) बेंजोइक अम्ल का उपयोग : दवा व  खाद्य पदाथों के संरक्षण में आदि।

(h) साइट्रिक अम्ल का उपयोग : धातुओं को साफ करने में, खाद्य पदार्थों व दयाओं के निर्माण में, कपड़ा उद्योग में आदि।

नोटः अम्ल  का pH मान 7 से कम होता है

  • भस्म (Bases):

भस्म धातुओं या धातुओं के सद्रृश  आचरण करने वाले मूलकों के वे यौगिक हैं, जो अम्तों से अभिक्रिया करके लवण एवं जल बनाते हैं।

भस्म के गुण

1. क्षार स्वाद में तीखा या कड़वा होता है।

2. क्षार  छूने से साबुन जैसा चिकवना लगता है।

3. प्रबल क्षार  विद्युत् का सुचातक होता है।

4. अम्ल से प्रतिक्रिया करके लवण तथा जल देता है।

5. क्षार लाल लिटमस  को नीला  तथा मिथाइल ऑरेंज को पीला कर देता है।

6. क्षार  में तेल और गंधक को घुला लेने की क्षमता होती है।

7. क्षार  कार्बनिक पदार्थों को नष्ट कर देते हैं।

8.  क्षार  फिनौल्पथेलीन  को गुलाबी कर देता है।

9. लवण के पोल में डाले जाने पर क्षार प्रायः धातु के हाइड्रोक्साइड को अवक्षेपित कर देते हैं।

भस्म संबंधित आधुनिक विचारधाराएं

(a) आरहेनियस  का आयनिक  सिद्धांत (Anhenius’s lonic Theray): इस सिद्धांत के अनुसार भस्म वे पदार्थ है, जो जलीय घोल में हाइड्रोक्साइड आधन देता है।

(b) ब्रान्सटेड-लौरी का सिद्धांत (Bronsted Lowry Theory): इस सिद्धांत के अनुसार भस्म वह पदार्थ है, जो किसी दूसरे पदार्थ से प्रोटीन ग्रहण करने की क्षमता रखता है

(c) लीविस का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत (Lewis’s electronic Theory) : इस सिद्धांत के अनुसार भस्म वह पदार्थ है, जिसमें इलेक्ट्रानों के एक निर्जन जोड़ी प्रदान करने की क्षमता होती है। जैसे हाइड्रोनियम आयन का बनना जहाँ H20 लिविश भस्म है।

भस्म के प्रकार: भस्म या  क्षारक दो प्रकार के होते हैं-

1. जल में विलेय भस्म तथा

2. जल में अविलेय भस्म।

क्षार  (Alkali ): वैसे भस्म जो  जल में विलेय होते हैं, ‘ क्षार  (Alkali) कहलाते हैं। जैसे-सोडियम हाइड्रोक्साइड, पोटेशियम हाइड्रोक्साइड, कैल्शियम  हाइड्रोक्साइड, अमोनियम हाइड्रोक्साइड आदि।

नोटः सभी क्षार भस्म (क्षारक) होते हैं, लेकिन सभी भस्म क्षार नहीं होते। इसका कारण यह है कि सभी भस्म जल में विलेप नहीं होते हैं।

जल में अविलेय क्षारक (Water insoluble Bases):

जल में अविलेय क्षारक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल तो बनाते हैं, परन्तु क्षार के अन्य गुण प्रदर्शित नहीं करते हैं। जैसे- जिंक ऑक्साइड, फेरिक  ऑक्साइड, फेरस  ऑक्साइड, एलुमिनियम ऑक्साइड, कॉपर हाइड्रॉक्साइड, फेरस हाइड्राइड आदि।

भस्मों व क्षारों के उपयोग:

(a) कैल्सियम हाइड्राक्साइडः घरों में चूना पोतने में, गारा एवं प्लास्तर बनाने में, ब्लीचिंग पाउडर (वीरंजक चूर्ण) बनाने में, जल को मृदु  बनाने में, अम्ल के जलन पर मरहम पट्टी करने में, चमड़ा  के उपर का बाल साफ करने में, मिटटी की अम्लीयता दूर करने में आदि।

(b) कास्टिक सोडा (NaOH): साबुन बनाने में, पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में, कपड़ा एवं कागज बनाने में, दवा  निर्माण में, घरों एवं कारखानों को साफ करने में आदि।

C) पोटेशियम हाइड्राक्साइड (KOH): प्रपोगशाला में प्रतिकर्मक के रूप में, मुलायम साबुन के निर्माण में, CO2 तथा SO2 जैसे गैसों के अवशोषक के रूप में आदि।

(d) कैल्शियम ऑक्साइड (CaO): मकान बनाने में गारे के रूप में, कास्टिक सोडा के निर्माण में, सोडियम कार्बोनेट के निर्माण में, ब्लीचिंग पाउडर के निर्माण में आदि।

(e) मैग्नीशियम हाइड्राक्साइड [Mg(OH)2]: पेट की अम्लीयता को दूर करने में, अम्ल  विशक्तिकरण (Poisoning) के एंटीडोट (Antidote) के रूप में, चीनी उद्योग में मोलासिस से चीनी तैयार करने में आदि।

(f) मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO): औषधि निर्माण में, रबड़ पूरक के रूप में, बायलरों  के प्रयोग में आदि।

नोट: भस्म या क्षार का pH मान 7 से अधिक होता है।

लवण (salt) : लवण वैसे यौगिक है, जो अम्ल में विद्यमान विस्थापनशील हाइड्रोजन परमाणुओं के धातु अथवा सदृश आचरण करने वाले मूलक द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप में विस्थापित होने पर बनते हैं।

उदाहरण: सल्फ्यूरिक अम्ल + जिंक –> जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन

               हाइड्रोक्लोरिक अम्ल  + अमोनियम हाइड्रोक्साइड  –> अमोनियम क्लोराइड (लवण) + जल 

अर्थात अम्ल  और क्षारक ( भस्म  ) की अभिक्रिया के फलस्वरूप जल  के साथ बना दूसरा पौगिक ‘लवण कहलाता है।

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल + सोडियम हाइड्रोक्साइड सोडियम –> सोडियम  क्लोराइड (लवण) + जल 

लवण  का वर्गीकरण : लवणों  को निम्नलिखित वर्गो  में बांटा गया है-

(a) सामाना लवण (Normal Salta): किसी अम्लीय अणु से हाइड्रोजन परमाणुओं के पूर्णतः स्थानान्तरण द्वारा निर्मित लवण  को सामान्य लवण  कहते है। दूसरे शब्दों में, वे लवण जो अम्लीय हाइड्रोजन परमाणु या हाइड्रोक्सिल आयन  से मुक्त रहते हैं, सामान्य लवण कहलाते हैं। जैसे – Na2SO4, Cas04, Na3PO4, Na2S, NaCl, KCI,FeC13 आदि।

(b) अम्लीय लवण (Acidic Salts): वैसे जिसमें एक या एक से अधिक स्थानान्तरण योग्य हाइड्रोजन परमाणु बने रहते हैं, ‘अम्लीय लवण कहलाते हैं। NaHCO3,NaHSO4 आदि ।

(C) भास्मिक लवण (Basic Sats): किसी अम्ल द्वारा भस्म के आशिक उदासिनीकरण के फलस्वरूप बने हुए लवण को  ‘भास्मिक लवण  कहते हैं। जैसे-Pb(OH)CL  ,Mg(OH)CI , Bi(OH)2 NO3, CUCO3, CU(OH)2, 2PbC03, PB(OH)2, आदि  

(d) मिश्रित लवण (Mixed Salts): वैसे लवण जिसमें एक से अधिक भास्मिक, अम्लीय मूलक उपस्थित हो, ‘मिश्रित लवण कहलाते हैं। जैसे-सोडियम पोटेशियम सल्फेट, वीरंजक चूर्ण  आदि।

(e) द्विक या युग्म लवण (Double Salta): दो सामान्य लवण  में निर्मित लवण को द्विक या युग्म लवण  कहते हैं। इसमें रवा जल  (Water of Crystallisation) भी रहता है। द्विक लवण  जल में घुलकर  दो प्रकार के धातुई आयन निर्गत करते हैं।

(f) जटिल लवण (Complex Salt): वैसा लवण जिसमें एक जटिल मूलक उपस्थित रहता है और जो घोल में भी अपना पृथक अस्तित्व बनाये रखता है, जटिल लवण कहलाता है।

लवणों के उपयोग:

(a) सोडियम क्लोराइड (NaCl) मानव आहार का आवश्यक अंग, आधार के परिरक्षण में, मांस एवं मछली के संक्षारण में, अनेक रासायनिक यौगिकों के निर्माण में आदि।

(b) सोडियम बाईकार्बोनेट (NaHCO3): रसोईघरों  में, पेट की अम्लीयता को कम करने की औषधि के रूप में, बेकिंग पाउडर के रूप में, अग्निशामक यंत्रो  में आदि।

(c) कॉपर सल्फेटः कीटाणुनाशक के रूप में, विद्युत् लेपन में, रंगाई एवं छपाई में कॉपर के शुद्धिकरण में आदि।

(d) सोडियम कार्बोनेटः कपड़ों की धुलाई  में, काँच निर्माण में कास्टिक सोडा के निर्माण में अपमार्जक चूर्ण  के निर्माण में, अनेक रासायनिक यौगिकों के निर्माण में आदि।

(e) पोटेशियम नाइट्रेट (KNO3): गन पाउडर बनाने में, आतिशबाजी का सामान बनाने में, कांच आयोग में, उर्वरक के रूप में आदि।

( f) पोटास एलन: जाल के शुद्धिकरण में, औषधि निर्माण में, रंगाई इ रंग बंधक के रूप में, शरीर के किसी अंग के थोड़ा  कट जाने पर खून का बहना रोकने में, बड़ा उद्योग में आदि।

pH मूल्य  (pH Value): pH मूल्य एक संख्या होती है, जो पदार्थों की अम्लीयता व क्षारीयता को प्रदर्शित करती है। इसका मान हाइड्रोजन आयन के सांद्राण कैव्युतक्रम के लघुगुणक (Logarithm) के बराबर होता है। pH= log1/H  या    ph=-log[H+]

pH का मान 0 से 14 के बीच होता है। जिन विलयनों के pH का मान 7 से कम होता है, वे अम्लीय होते हैं। जिन विलयनों का pH मान 7 से अधिक होता है, वे क्षारीय होते हैं। उदासीन विलयनों के pH का मान 7 होता है। pH मूल्य का उपयोग एल्कोहल, चीनी , कागज आदि उद्योगों में होता है।

अम्ल, भस्म और लवण : Acid, Bases & Salt Chemistry class 07

कुछ सामान्य पदार्थों का pH मान

निम्बू-2.2-2.4

सिरका-2.4-3.4

शराब  2.8-3.8

टमाटर जूस-4.0-4.4

बीयर-4.0-5.0

                                                                                         कॉफी-4.5-5.5

                                                                                         मानव मूत्र-5.5-7.5

                                                                                         मानव लार-6.5-7.5

                                                                                         मानव रक्त-7.3-7.4

                                                                                         दूध-6.4

PH का दैनिक जीवन में महत्तव :

1. मनुष्यों और पशुओं में pH: शरीर में होने वाली जैव रासायनिक क्रिया में अधिकतर सकीर्ण pH वर्ग 7 से 7.8 तक होती है यहाँ तक कि pH में थोड़ा- सा  परिवर्तन भी इनक्रियाओं पर बुरा असर डाल सकता है।

2. अम्लीय वर्षाः जब वर्षा का पानी pH5.6 से कम हो जाता है, तो उसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। जब अम्लीय वर्षा नदियों में बहती है, तो पानी का pH कम हो जाता है और यहअम्लीय हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप जलीय जीवन का अस्तिम कठिन हो जाता है।

3. पौधों में ph: एक विशिष्ट pH के वर्ग की मिटटी के पौधों का स्वस्थ विकास होता है। यह मिट्टी क्षारीय  और अत्यधिक अम्लीय नहीं होनी चाहिए।

4. पाचन तंत्र में: पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन होता है जो  भोजन में पाचन में सहायता करता है। जब हम मसालेदार खाना खाते हैं, पेट में अम्मल बनता है, जो कि अम्लता पेट में जलन व कभी-कभी दर्द का कारण बनता है। इससे छुटकारा पाने के लिए प्रतिअम्ल , ‘मैग्नीशिया का दूध की तरह क्षार का उपयोग करते हैं।

5. जानवरों और पौधों की श्व-रक्षा मधुमक्कड़ी के डंक से गंभीर व जलन होती है। यह इसमें मौजूद मीथेनोइक आग  अम्ल के कारण से होता है। एक हल्का क्षारक जैसे कि बेंकिग  सोडा  के प्रयोग से दर्द में राहत होती है। कुछ पौधों जैसे कि नेटल पौधे में चुभने वाले बाल होते हैं जो जानवर या मानव शरीर के संपर्क में आने पर उनके शरीर में मीथेनोइक  अम्ल को अंतः प्रक्षेपण कर देते है जिसके कारण गंभीर दर्द और जलन महसूस होता है। नेटल पौधे के पास उगने वाला डांक के पत्तो को प्रभावित अंग  पर मलने से राहत प्रदान करते हैं।

6. दंत क्षयः दांत का इनामेल कैल्शियम फास्फेट से बना है जो शरीर में सबसे कठोर पदार्थ है। विभित्र खाद्य पदार्थ जो खाते हैं, उनके प्रभाव से प्रभावित नहीं होता है। यदि मूह, हर भोजन के बाद  ठीक से धोया  नहीं  जाता है तो खाद्य कण और चीनी मुंह में मौजूद वैक्टीरिया के कारण सड़ने लगते हैं। इस प्रक्रिया में अम्ल  का अपादन होता है और pH 5.5 से नीचे चला जाता है। इस प्रकार बनी अम्तीय दशा से दांत का इनामेल क्षीण हो जाता है और लंबे समय में दन्त  क्षय का कारण बनता है।

बफर विलिपन (Buffer Solution) यह विलियन जो कि अम्ल या  क्षार की साधारण मात्राओं को अपनी प्रभिवि  अम्लता या  क्षारता में पर्याप्त परिवर्तन किए बिना अवशोषित कर लेता है, ‘बफर विलियन’ कहलाता है। जैसे सोडियम एसिटेट तथा एसिटिक एसिड का मिश्रण एक प्रभावी बफन विलयन है, जब उसे पानी में विलीन किया जाता है। जिस विलपन में बफर विलयन अंतर्विष्ट होता है, यह अत्यधिक मंद अम्ल  के रूप में कार्य करता है।

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