मेरे एक दोस्त की माताजी को गठिया रोग हो गया था । पैरो की गांठो ने जोर पकड़ लिया । चलना फिरना कठिन हो गया था । अनेक प्रकार के लेप और तेलों का प्रयोग किया , परन्तु रोग दूर न हुआ , उलटे वह बढ़ता ही गया । दोस्त के पिताजी को आशा न थी वह जीवित रहेगी । जिन्हे गठिया रोग हुवा था वो बूढी माता भगवन श्री राम पर अत्यंत श्रद्धा रखती थी । वे राम मंत्र का जाप करती रहती । मेरे मित्र अपने सभी भाई बहनों में सबसे अधिक अल्पव्यस्क थे। उसकी एक बड़ी बहन माँ के सामने ही परलोकवासिनी हो गयी थी । उनकी माँ बिछोने पर शिथिल पारी थी । वे सब भाई बहन बड़े परेशान थे ।
उनकी माँ का स्वास्थय प्रतिदिन गिरता जा रहा था । सब उपचार बंद कर दिए । मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी की रात को उनकी हालत अत्यंत खरब हो गयी । उन्होंने अपने बड़े बेटे को बुलाया । वे पास गए, उनकी पीठ पर प्रेम से हाथ फेरा । उनकी माँ का हाथ थरथरा रहा था । वे बोली – तुमसे बड़ी बहन तो मेरे सामने चलती बनी । बेटा खुशहाल रहना, में भी अपनी बेटी से मिलने भगवन राम के घर जा रही हूँ । मेरे मित्र के पिताजी ने पॉँच ब्राह्मणों को बुलाया । ब्राह्मणों के आने पर प्रत्येक ब्राह्मण को दो – दो रूपये देकर मेरे मित्र के माताजी चरणस्पर्श किया ,
माता पिता की मानसिक वंदना की और अपने प्रति परमेश्वर को चरणस्पर्श की सभी छोंटो को ढेरो आशीर्वाद दिए ।
मित्र के पिताजी ने कहा – मृत्युलोक छोड़ने के पहले मुख से राम राम कहना अच्छा है । अब मन राम नाम लगाना चाहिए । तब मित्र के माता ने उत्तर दिया – मैं राम नाम ले रही हूँ । आप मेरी मुख से आपकी कान लगा कर सुनें तो आपको विश्वस हो जायेगा । बूढ़ी माताजी राम नाम की रट लगते हुए खाट पर उठ बैठी और बोली – आप मुझे गोद में ले लें । थोड़ी ही देर में मित्र के पिताजी बूढ़ी माता की सर अपनी गोद में ले लिये । करीब दो चार मिनट के बाद राम राम जपते हुए मित्र की माता की प्राण ज्योति में विलीन हो गए ।
एक अनपढ़ गंवार माता कितनी सुसंस्कृत थी और और यथा समय ईश्वर भजन में लगी रहकर कैसे कृत कृत्या हो गयी । सचमुच , मृत्यु को मारने वाली थी मेरे मित्र की पूजनीय माताश्री जी । मेरे चंचल मन के ख्याल से सचमुच में मृत्यु को मारने वाली मृत्यु है । यह राम नाम जपो कल्याण होगा । बंधुओं राम का नाम जपने का अभ्यास करें। अभ्यास करने से राम का नाम आपकी जुबान पर कायम रहेगी। मरते वक़्त तक आपकी जुबान में राम राम की रट लगी रहेगी । याद रखिये राम का नाम जपने से आपकी मौत नहीं मौत की मौत होगी। जैसे मेरे मित्र के माताजी की मौत नहीं उनकी मौत की मौत हो गयी । किसी ने ठीक ही कहा है ।
बंधुओं –
जन्म जन्म मुनि जतनु करहि।
अंत राम कहि आवत नाहीं।।