एक बार की बात है। एक बूढ़ा आदमी के पास एक बन्दर था। जो एकदम मुर्ख था पर वो बूढ़ा आदमी उसे काफी चालाक समझता था। एक दिन वह बूढ़ा आदमी दोपहर को अपने अपने घर में आराम कर रहा था। वो बन्दर अपने मालिक पर पंखा झेल रहा था। तभी एक मक्खी उड़कर उस बूढ़ा आदमी के चेहरे पर बैठ गया। बन्दर ने मक्खी को हवा से उड़ा दिया पर वो मक्खी बार-बार आकर उस बूढ़ा आदमी के शरीर पर बैठ जाता, बन्दर के बहुत कोशिश करने पर भी वो मक्खी को भगा नहीं पा रहा था।
अब बन्दर से रहा नहीं गया। वो घर से बाहर जाता है, और मक्खी को मरने के लिए एक बड़ा सा पत्थर उठा लाता है। इस बार मक्खी उस बूढ़े आदमी के नाक पर बैठ जाता है। अब बन्दर उस मक्खी को मरने के लिए उसपर निशाना लगाता है और उस पत्थर को जोर से दे मरता है। पर तभी मक्खी तो उड़ जाती है और वो पत्थर उस बूढ़े आदमी को जोर से लगता है। जिस कारण उसकी नाक टूट जाती है और उसके दो दाँत भी टूट जाते है। और साथ ही वह बूढ़ा आदमी बेहोस हो जाता है।
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