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भारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of India

भारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of Indiaभारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of India

भारतीय संविधान संशोधन

भारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of India
भारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of India

साधारण बहुमत से ( Simple Majority )

  • ऐसे संशोधन के लिए दोनों सदनों में उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के आधे से अधिक की सहमति ही पर्याप्त हैं |
  • ऐसे उपबंधों का संशोधन संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत नहीं माना जाता हैं |
  • जैसे नए राज्यों का निर्माण , उनके नाम , क्षेत्र एवं सीमाओं में परिवर्तन |

विशेष बहुमत से ( Special Majority )

  • जिन उपबंधों का सम्बन्ध भारत के संघीय ढांचे से हैं , उन्हें छोड़कर अनुच्छेद 368 के अंतर्गत ‘ संशोधन ‘ मने जाने वाले शेष सरे उपबंध इसी वर्ग में शामिल हैं |
  • इसमें विधेयक को सदन की कुल संख्या का बहुमत हासिल होना चाहिए एवं प्रत्येक सदन में उस विधेयक को उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों में से कम – से -कम दो – तिहाई का समर्थन प्राप्त होना चाहिए |

संसद क्व विशेष बहुमत के अलावा कम – से -कम आधे राज्यों के विधानमंडलों के अनुसमर्थन ( Ratification) से  पारित होने वाले विधेयक

  • इस प्रकार के संशोधन का सम्बन्ध संघात्मक ढांचे से हैं
  • अनुच्छेद 368(2) के अनुसार इसे दोनों सदनों के विशेष बहुमत द्वारा पारित किया जाना अनिवार्य हैं एवं कम – से – कम आधे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा इस आशय का संकल्प (Resolution) पारित करके उसे अनुसमर्थन (Ratification) दिया जाए |
  • जैसे – अनुच्छेद 54,55,73,162,241 आदि में किया जाने वाला संशोधन |

नोट : संविधान संशोधन के विषय में लोकसभा व्  राज्यसभा की शक्तियां समान हैं |

भारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of India

1. प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम 1951 :  इसके माध्यम से स्वतन्त्र , समानता एवं संपत्ति से सम्बंधित मौलिक अधिकारों को लागु किये जाने सम्बन्धी कुछ व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया गया | भाषण एवं अभिव्यक्ति के मूल अधिकारों पर इसमें उचित प्रतिबन्ध की व्यवस्था की गई | साथ ही , इस संशोधन द्वारा संविधान में नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया , जिसमें उल्लिखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायलय के न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के अंतर्गत परीक्षा नहीं की जा सकती हैं |

2. दूसरा संविधान संशोधन अधिनियम 1952 : इसके अंतर्गत 1951 की जनगणना के आधार पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व को पुनर्व्यवस्थित किया गया |

3. तीसरा संविधान संशोधन अधिनियम 1954 : इसके अंतर्गत सातवीं अनुसूची को समवर्ती सूची की तैंतीसवीं प्रविष्टि के स्थान पर खाद्यान्न , पशुओं के लिए चारा , कच्चा कपास , जुट आदि को रखा गया , जिसके उत्पादन एवं आपूर्ति को लोकहित में समझने पर सरकार उस पर नियंत्रण लगा सकती हैं |

4. चौथा संविधान संशोधन अधिनियम 1955 : इसके अंतर्गत व्यक्तिगत संपत्ति को लोकहित में राज्य द्वारा हस्तगत किये जाने की स्थिति में , न्यायालय इसकी क्षतिपूर्ति के सम्बन्ध में परीक्षा नहीं कर सकती हैं |

5. पांचवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1955 : राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान की गई की वह राज्यों के क्षेत्र , सीमा और नामों को प्रभावित करने वाले प्रस्तावित केंद्रीय विधान पर अपने मत देने के लिए राज्य मंडलों हेतु समय – सीमा का निर्धारण करें |

6. छठा संविधान संशोधन अधिनियम 1956 : इस संशोधन द्वारा सातवीं अनुसूची के संघ सूची में पुनर्गठन कर अंतरराज्यीय बिक्री कर के अंतर्गत कुछ वस्तुओं पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार दिया गया |

7. सातवां संविधान संशोधन अधिनियम 1956 : राज्यों का पुनर्गठन , चार श्रेणियों में बटें राज्यों के वर्गीकरण को समाप्त करते हुए उन्हें राज्यों एवं संघ राज्यों क्षेत्रों में बाँटा गया |

8. आठवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1959 : इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों के निम्न सदनों में अनुसूचित जाती , अनुसूचित जनजाति एवं आंगल – भारतीय समुदायों के आकषण सम्बन्धी प्रावधानों को दस वर्षों की लिए अर्थात 1970 तक बड़ा दिया गया |

9. नौवां संविधान संशोधन अधिनियम 1960 : इसके द्वारा संविधान संशोधन की प्रथम अनुसूची में परिवर्तन करके भारत और पाकिस्तान के बीच 1958 की संधि की शर्तों के अनुसार बेरुबारी , खुलना आदि क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिए गए |

10. दसवां संविधान संशोधन अधिनियम 1961 : इसके अंर्तगत दादरा एवं नगर हवेली को भारत में शामिल किया गया |

11. ग्यारहवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1961 : इसके अंतर्गत उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के प्रावधानों में परिवर्तन कर , इस सन्दर्भ में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को बुलाया गया | साथ ही यह भी निर्धारित किया गया की निर्वाचनमंडल में पद की रिक्तिता के आधार पर राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती नहीं दी जा सकती |

12.  बारहवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1962 : इसके अंतर्गत गोवा , दमन एवं दीव को भारत में शामिल किया गया |

13. तेरहवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1962 : इसके अंतर्गत नागालैंड को भारत का एक राज्य का दर्जा दिया गया |

14. चौदहवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1963 : इसके अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश के रूप में पुडुचेरी को भारत में शामिल किया गया | साथ ही , इसके द्वारा हिमाचल प्रदेश , मणिपुर , त्रिपुरा , गोवा , दमन और दीव तथा पुडुचेरी केंद्रशासित प्रदेशों में विधानपालिका एवं मंत्रिपरिषद की स्थापना की गई |

15. पन्द्रहवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1963 : इसके अंतर्गत उच्च न्यायलय के न्यायाधीशों की सेवामुक्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई तथा अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों की उच्च न्यायलय में नियुक्ति से सम्बंधित प्रावधान बनाये गए |

16. सोलहवां संविधान संशोधन अधिनियम 1964 : इसके अनुसार देश की संप्रभुता एवं अखंडता के हिट में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबन्ध लगाने के प्रावधान रखे गए | साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन कर शपथ ग्रहण के अंतर्गत ‘ मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बनाए रखूँगा ‘ की जा सकती थी |

17. सत्रहवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1964 : इसमें संपत्ति के अधिकारों में और भी संशोधन करते हुए कुछ अन्य भूमि सुधार प्रावधानों को नौवीं अनुसूची में रखा गया , जिनकी वैधता की परीक्षा सर्वोच्च न्यायलय द्वारा नहीं की जा सकती हैं |

18. अठारहवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1966 : इसके अंतर्गत पंजाब का भाषायी आधार पर पुनर्गठन करते हुए पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब एवं हिंदी भाषी क्षेत्र को हरियाणा के रूप में गठित किया गया | पर्वतीय क्षेत्र हिमालय प्रदेश को दे दिए गए तथा चंडीगढ़ को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया |

19. उन्नीसवां संविधान संशोधन अधिनियम 1966 : इसके अंतर्गत चुनाव आयोग के अधिकारों में परिवर्तन किया गया एवं उच्च न्यायालयों को चुनाव – याचिकाएँ सुनने का अधिकार दिया गया | 

20. बीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1966 : इसके अंतर्गत अनियमितता के आधार पर नियुक्त कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को वैधता प्रदान की गई |

21. इक्कीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1967 : इसके अंतर्गत सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत पन्द्रवीं भाषा के रूप में शामिल किया गया |

22. बाईसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1969 : इसके द्वारा असम से अलग करके एक नया राज्य मेघालय बनाया गया |

23. तेईसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1969 : इसके अनुसार विधान पालिकाओं में अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण एवं आंगल – भारतीय समुदाय के लोगों का मनोनयन और दस वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया |

24. चौबीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1971 : इसके अंतर्गत राष्ट्रपति अनुच्छेद 368 के तहत पारित किये गए संविधान संशोधन विधेयक पर अनुमति देने के लिए बाध्य होगा |

25. पच्चीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1971 : इसके अंतर्गत मूल अधिकारों ( 14 , 19 , 31 ) के उल्लघन के आधार पर भी कानून को अवैध नहीं माना जाएगा | अगर राज्य अनुच्छेद 39 ख व् 39 ग में वर्णित निति निर्देशक तत्वों की प्राप्ति के लिये कानून बनाता हैं |

26. छब्बीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1971 : इसके अनुसार भूतपूर्व देशी राज्यों के शासकों की विशेष उपाधियों एवं उनके प्रिवी – पर्स को समाप्त कर दिया गया |

27. सत्ताईसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1971 : इसके अनुसार मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में स्थापित किया गया |

28. उन्तीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1972 : इसके अनुसार केरल भू- सुधार ( संशोधन ) अधिनियम , 1969 तथा केरल भू- सुधार ( संशोधन ) अधिनियम , 1971 को संविधान की नौवीं अनुसूची में रख दिया गया , जिससे इसकी संवैधानिक वैधता को न्यायलय में चुनौती न दी जा सके |

29. इक्तीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1973 : इसके द्वारा लोकसभा सदस्यों की संख्या 525 से 545 की गई तथा संघ राज्यक्षेत्रों का प्रतिनिधित्व 25 से घटाकर 20 कर दिया गया |

30. बत्तीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1974 : इसके द्वारा संसद एवं विधान पालिकाओं के सदस्यों द्वारा दबाब में या जबरदस्ती किये जाने पर इस्तीफा देना अवैध घोषित किया गया एवं अध्यक्ष को यह अधिकार दिया गया की वह सिर्फ स्वेच्छा से दिए गये एवं उचित त्यागपत्र को ही स्वीकार करे |

31. चौंतीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1974 : इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों द्वारा पारित भू- सुधार अधिनियमों को संवैधानिक वैधता के परिक्षण से मुक्ति के लिये नौवीं अनुसूची में प्रवेश |

32.  पैंतीसवां संविधान संशोधन अधिनियम 1974 : इसके अनुसार सिक्किम का संरक्षित राज्यों का दर्जा समाप्त कर उसे सम्बन्ध राज्य के रूप में भारत में प्रवेश दिया गया |

33. छतीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1975 : इसके अनुसार सिक्किम को भारत का बाईसवाँ राज्य बनाया गया |

34. सैंतीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1975 : इसके अंतर्गत आपात स्थिति की घोषणा और राष्ट्रपति , राज्यपाल एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनिक प्रधानों द्वारा अध्यादेश जारी किये जाने के अविवादित बनाते हुए न्यायिक पुनर्विचार से उन्हें मुक्त रखा गया |

35. उन्तालीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1975 : इसके अंतर्गत राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री एवं लोकसभाध्यक्ष के निर्वाचन सम्बन्धी विवादों को न्यायिक परीक्षण से मुक्त कर दिया गया |

36. इक्तालीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1976 : इसके अनुसार राज्य लोकसेवा आयोग के सदस्यों की सेवा मुक्ति को आयु सिमा 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई , पर संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा – निवृति की अधिकतम आयु 65 वर्ष रहने दी गई |

37. बयालीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1976 : इसे ‘ लघु संविधान ‘ को संज्ञा भी दी जाती है | इसके माध्यम से प्रस्तावना में तीन महत्वपूर्ण शब्द समाजवादी (Socialist) , पंथ- निरपेक्ष (Secular) तथा अखंडता (Integrity) जोड़े गए साथ ही संविधान में एक नया अनुच्छेद 51क अंत:स्थापित कर 10 मौलिक कर्त्तव्य जोड़े गए |

38. चौवालीसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1978 : इसके द्वारा अनुच्छेद 332 के तहत राष्ट्रिय आपात की उद्घोषणा का आधार ‘ आतंरिक अशांति ‘ को हटाकर सशस्त्र विद्रोह किया गया , जिसके लिये मंत्रिमंडल ( कैबिनेट ) की लिखित सलाह को अनिवार्य किया गया | आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 368 के तहत अनुच्छेद 19 का निलंबन सिर्फ तभी किया जा सकेगा , जब आपात उद्घोषणा का आधार पर अनुच्छेद 20 और 21 का निलंबन नहीं किया जा सकेगा |

इसके द्वारा सम्पति के अधिकार को ( अनुच्छेद 31 के तहत मूल अधिकार को विलोपित कर ) एक नया अनुच्छेद 300क जोड़कर सिर्फ क़ानूनी अधिकार बना दिया |

39. पचासवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1984 : इसके अनुसार अनुच्छेद -33 में संशोधन कर सैन्य सेवाओं की पूरक सेवाओं में कार्य वालों के लिए आवश्यक सूचनाएँ एकत्रित करने , देश की संपत्ति की रक्षा करने और कानून तथा व्यवस्था से सम्बंधित दायित्व भी दिये गये  | साथ ही , इन सेवाओं द्वारा उचित कर्तव्य – पालन हेतु संसद को कानून बनाने के अधिकार भी दिये गये |

40. बावनवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1985 : इसके द्वारा संविधान में दशवी अनुसूची शामिल कर दल- बदल सम्बन्धी प्रावधान किये गए |

41. तिरपनवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1986 : इसके अनुसार अनुच्छेद – 371 में खंड ‘ जी ‘ जोड़कर मिजोरम को राज्य का दर्जा दिया गया |

42. चौवनवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1986 : इसके अनुसार संविधान की दूसरी अनुसूची के भाग ‘ डी ‘ में संशोधन कर न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि का अधिकार संसद को दिया गया |

43. पचपनवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1986 : इसके द्वारा अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया |

44. छप्पनवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1987 : इसके द्वारा गोवा को एक राज्य का दर्जा दिया गया तथा दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में ही रहने दिया गया |

45. सत्तावनवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1987 : इसके द्वारा अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के सम्बन्ध में मेघालय , मिजोरम , नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा सीटों का परिसीमन इस शताब्दी के अंत तक के लिए किया गया |

46. अट्ठावनवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1987 : इसके अनुसार राष्ट्रपति को संविधान का प्रामाणिक हिंदी संस्करण प्रकाशित करने की लिए अधिकृत किया गया |

47. साठवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1988 : इसके द्वारा व्यवसाय – कर की सीमा 250 रूपये से बढ़ाकर 2500 रूपये प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष कर डी गई |

48. इकसठवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1989 : इसके द्वारा मतदान के लिए आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष लेन का प्रस्ताव दिया था |

49. पैंसठवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1990 : इसके द्वारा अनुच्छेद – 338 में संशोधन करके अनुसूचित जाती तथा जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गई है |

50. उनहत्तरवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1991 : इसके द्वारा दिल्ली को राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र बनाया गया तथा दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधानसभा और मंत्रिपरिषद का उपबंध किया गया |

51. सत्तरवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 : इसके द्वारा दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के लिए निर्वाचन मंडल में सम्मिलित किया गया |

52. इकहत्तरवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 : इसके द्वारा आठवीं अनुसूची में कोंकणी , मणिपुरी और नेपाली भाषा को सम्मिलित किया गया |

53, तिहत्तरवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1993 : इसके द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा और सुरक्षा व् 11वीं अनुसूची को शामिल किया गया |

54. चौहत्तरवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1993 : इसके द्वारा शहरी स्थानीय निकायों को सवैधानिक दर्जा और सुरक्षा व् 12वीं अनुसूची को शामिल किया गया |

55. छिहत्तरवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1994 : इस संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान की नौवीं अनुसूची में संशोधन किया गया है और तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 69% आरक्षण का उपबंध करने वाली अधिनियम को नौवीं अनुसूची में शामिल कर दिया गया है |

56. अठहत्तरवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1995 : इसके द्वारा नौवीं अनुसूची में विभिन्न राज्यों द्वारा पारित 27 भूमि सूधार विधियों को समाविष्ट किया गया है | इस प्रकार नौवीं अनुसूची में सम्मिलित अधिनियमों की कुल संख्या 284 हो गयी है |

57. उन्नासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1999 : इसके द्वारा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2010 तक के लिए बड़ा दी गई है | इस संशोधन के माध्यम से व्यवस्था की गई की अब राज्यों को प्रत्यक्ष केंद्रीय करों से प्राप्त कुल धनराशि का 29% हिस्सा मिलेगा |

58. बैरासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2000 : इस संशोधन के द्वारा राज्यों को सरकारी नौकरियों में आरक्षित रिक्त स्थानों की भर्ती हेतु प्रोन्नति के मामलों में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्तांकों में छूट प्रदान करने की अनुमति प्रदान की गई है | 

59. तिरासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2000 : इस संशोधन द्वारा पंचायती राज सस्थाओं में अनुसूचित जाती के लिए आरक्षण का प्रावधान न करने की छूट प्रदान की गई है | अरुणाचल प्रदेश में कोई भी अनुसूचित जाती न होने के कारन उसे यह छूट प्रदान की गई है |

60. चौरासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2001 : इस  संशोधन अधिनियम द्वारा लोकसभा तथा विधानसभाओं की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान किया गया है |

61. पचासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2001 : सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाती / जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था | 

62. छियासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2002 : इसके द्वारा अनुच्छेद 45 में परिवर्तन व् अनुच्छेद 51 क में नया मूल कर्त्तव्य व् 21 क जोड़कर 6-14 वर्षों की आयु के सभी के लिये निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा को मूल अधिकार बनाया | 

63. सत्तासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003 : परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दी गई |

64. अठासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003 : सेवाओं पर कर का प्रावधान | 

65. नबासीवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003 : अनुसूचित जनजाति के लिए पृथक राष्ट्रिय आयोग की स्थापना की व्यवस्था |

66. नब्बेवाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003 : असम विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व बरक़रार रखते हुए बोडोलैंड , टेरिटोरियल कौंसिल क्षेत्र , गैर – जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा | 

67. इक्यानवेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2003 : केंद्र तथा राज्य में मंत्रिपरिषद की अधिकतम सदस्य संख्या क्रमशः लोकसभा तथा विधानसभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत होगा |

68. बेरानवेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2003 : संविधान की आठवीं अनुसूची में बोडो , डोगरी , मैथली और संथाली भाषाओँ का समावेश |

69. तिरानवेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2006 : शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाती / जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के नागरिकों के दाखिले के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था , संविधान के अनुच्छेद -15 की धरा 4 के प्रावधानों के तहत की गई है | 

70. चौरानवेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2006 : इस संशोधन द्वारा बिहार राज्य को एक जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त करने के उत्तरदायित्व से मुक्त कर दिया गया तथा इस प्रावधान को झारखण्ड व् छत्तीसगढ़ राज्यों में लागु करने की व्यवस्था की गई | मध्यप्रदेश एवं ओडिशा राज्य में यह प्रावधान पहले से ही लागु है |

71. पंचानबेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2009 : इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 334 में संशोधन कर लोकसभा में अनुसूचित जातियों व् अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण एवं आंगल – भारतियों को मनोनीत करने सम्बन्धी प्रावधान को 2020 तक के लिए बड़ा दिया गया है |

72. छियानबेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2011 : संविधान की 8वीं अनुसूची में ‘ उड़िया ‘ के स्थान पर ‘ ओड़िया ‘ लिखा जाए |

73. सत्तानबेवां  संविधान संशोधन अधिनियम 2011 : इस संशोधन के द्वारा सहकारी समितियों को एक संवैधानिक स्थान एवं संरक्षण प्रदान किया गया | संशोधन द्वारा संविधान में निम्नलिखित बदलाव किये गए |

  • सहकारी समाती के निर्माण के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया | ( अनुच्छेद 19 ) 
  • सहकारी समिति को बढ़ावा देने के लिये एक नए निति निदेशक सिद्धांत को जोड़ा गया ( अनुच्छेद 43 ख ) 
  • सहकारी समितियां नाम से नया खंड IXख जोड़ा गया ( 243ZH से 243ZT तक ) 

74. अंठानबेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2012 : कर्णाटक के राज्यपाल को हैदराबाद – कर्णाटक क्षेत्र के विकास सुनिश्चित करने हेतु संविधान में अनुच्छेद 371J को शामिल किया गया |

75. निनानबेवां संविधान संशोधन अधिनियम 2014 : राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना |

76. 100वां संविधान संशोधन अधिनियम 2015 : भारत और बांग्लादेश के मध्य भूमि हस्तांतरण |

77. 101वां संविधान संशोधन अधिनियम 2016 : इसके द्वारा वास्तु एवं सेवाकर को लागु किया गया |

78. 102वां संविधान संशोधन अधिनियम 2018 : 123 वे संविधान संशोधन विधेयक (102वां संविधान संशोधन अधिनियम ) द्वारा ‘ राष्ट्रिय पिछड़ा वर्ग आयोग ‘ को संवैधानिक दर्जा दिया गया है |

79. 103 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2019 : इस अधिनियम द्वारा आर्थिक वंचना को पिछड़ेपन का आधार मानते हुए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई है |

80. 104वां संविधान संशोधन अधिनियम 2019 : इस संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 334 ( क ) में संशोधन करते हुए लोकसभा एवं राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण सम्बन्धी प्रावधान को पुनः अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ाते हुए इसे 25 जनवरी 2030 तक के लिए प्रभावी बना दिया गया है |

81. 105वां संविधान संशोधन अधिनियम 2021 : लोकसभा और राज्यसभा ने क्रमशः 10 अगस्त और 11 अगस्त 2021 को 127वां संविधान संशोधन विधेयक , 2021 पारित किया | यह विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के पश्चात् 105वां संविधान संशोधन अधिनियम 2021 बन गया \ इसका उद्देश्य 5 मई 2021 को सर्वोच्च न्यायलय के मराठा आरक्षण पर दिये निर्णय का प्रभाव समाप्त करके राज्य की अपनी ओबीसी सूचि बनाने की शक्ति को बहाल करना है |

भारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of India
भारतीय संविधान संशोधन : एक नजर में || Constitutional Amendment of India

 

नोट : अधिक जानकारी के लिये विकिपीडिया पर देखे https://hi.wikipedia.org

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