भूगोल अंग्रेजी भाषा के Geography (ज्योग्राफी) शब्द का हिंदी रूपांतरण है। Geography दो यूनानी शब्दो से मिलकर बना है-Geo = पृथ्वी तथा Graphy = वर्णन अर्थात पृथ्वी का वर्णन।
” भूगोल एक ऐसा स्वतंत्र विषय है, जिसका उद्देश्य लोगों को इस भूमण्डल का, आकाशीय पिंडो का स्थल, महासागर, जीव-जंतुओं, वनस्पतियों तथा पृथ्वी के भू-भागों में देखी जाने वाली प्रत्येक अन्य वस्तु का ज्ञान प्राप्त कराना है। “
भूगोल के दो प्रमुख शाखाएं है- (1) भौतिक भूगोल (2) मानव भूगोल
1.भौतिक भूगोल – इसके अंतर्गत ब्रमाण्ड, सौरमंडल की उत्पत्ति, सूर्य, पृथ्वी सहित विभिन्न ग्रह, उपग्रह, ग्रहों एवं उपग्रहों का सम्बन्ध, चट्टानों की संरचना, पहाड़, पठार, मैदान, भूरक्षण, निक्षेपण, अपरदन, जल, पवन, हिमानी, वायुमंडल, मौसम, ऋतू – परिवर्तन, जलवायु, महासागरीय, तल एवं संरचना, तापक्रम, लवणता, समुद्री – निक्षेपण, धाराएं, ज्वार – भाटा, हिमनद, मिट्टी, वनस्पति, आदि का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है। भौतिक भूगोल की निम्नलिखित शाखाएं हैं-
(1) भू – आकृति विज्ञान – पृथ्वी के धरातल के स्थलमंडल के उच्चावचनों का अध्ययन।
(2) जलवायु विज्ञान – पृथ्वी के चारो और फैले वायुमंडल के संघठन, तापीय विशेषता तथा गतियों का अध्ययन।
(3) पर्यावरण भूगोल – हमारे चारो तरफ से वातावरण के समस्त संघटको का अध्ययन।
(4) जैव भूगोल – धरातल पर पाए जाने वाले जीवों का अध्ययन।
(5) भूकंप विज्ञान – पृथ्वी के भीतर तथा धरातल के ऊपर होने वाले भूकम्पों के कारण तथा वितरण क्षेत्र एवं प्रभाव का अध्ययन।
(6) ज्वालामुखी विज्ञान – ज्वालामुखी के उदगारों, उसकी प्रकृति, वितरण क्षेत्र तथा प्रभाव का अध्ययन।
(7) समुद्र विज्ञान – धरातल के लगभग 71% भाग पर फैले महासागरों/सागरों की विशेषताएँ तथा-लवणता, तापमान, महासागरीय निक्षेप एवं जलीय गतियों का अध्ययन।
(8) झील विज्ञान – झीलों की उत्पत्ति, स्वरुप, लवणता तथा निक्षेप आदि का अध्ययन।
(9) मृदा विज्ञान – मिट्टी की संरचना, निर्माण परिक्रिया तथा अन्य विशेषताओं का अध्ययन।
(10) गुफा विज्ञान – धरातल के स्थलीय भाग पर बनी गुफाओं काअध्ययन।
(11) चट्टान विज्ञान – चट्टानों की संरचना, उसमे उपस्थित खनिज एवं उसके गुण-दोषों का अध्ययन।
2.मानव भूगोल – भूगोल का वो अंग है जिसके अंतर्गत पार्थिव तथा प्राकृतिक परिस्तिथियों और मानव के कार्यकलापों के पारस्परिक सम्बन्ध का अध्ययन करते है। भौगोलिक परिस्तिथियों का प्रभाव मानव जाति और समाज पर अत्यधिक पड़ता है। इसी को मानव भूगोल कहते है। मानव भूगोल की निम्नलिखित शांखाएं है –
(1) आर्थिक भूगोल – मानव की आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन।
(2) प्रजातीय भूगोल – मानव की उत्पत्ति, विकास की प्रक्रिया उसकी संस्कृति तथा मानव की शारीरिक विशेषताओं का अध्ययन।
(3) सामाजिक भूगोल – जनसंख्या वितरण, मानवीय संबंधों, मानवियों विचारों तथा अन्य सामाजिक तत्वों का अध्ययन।
(4) अधिवास भूगोल – मानव बस्तियों का अध्ययन।
(5) राजनीतिक भूगोल – राज्य, राष्ट्र, देश अदि के निर्माण की प्रक्रिया, भौगोलिक सीमाएँ, प्रचलित शासन प्रणाली एवं उनके विवादों का अध्ययन।
(6) ऐतिहासिक भूगोल – किसी देश की ऐतिहासिक घटनाओं का उसके भूगोल पर पड़े प्रभाव का अध्ययन।
(7) सामरिक भूगोल – युद्ध केविस्तृत क्षेत्रों, कारणों, साधनो तथा किसी राष्ट्र की सामरिक (सैन्य) शक्ति का अध्ययन।
(8) चिकित्सा भूगोल – व्याधियों के भौगोलिक कारन और उनके उपचारों का अध्ययन।
(9) निर्वाचन भूगोल – राजनीतिक भूगोल की एक शाखा है। इसके अंतर्गत विभिन्न देशों की चुनाव प्रक्रिया का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है।
- ब्रह्माण्ड (COSMOS) – ब्रह्माण्ड वह अनंत आकाश है, जिसमे तारामंडल, ग्रह, उपग्रह, एवं अन्य आकाशीय पिंड स्थित है। अर्थात पृथ्वी, वायु, आकाश, और जिस वातावरण में मानव जीवन है, वही ब्रह्माण्ड है। सामान्यत ब्रह्माण्ड के दो भाग हैं – (1) वायुमंडल (2) अंतरिक्ष।
(1) वायुमंडल (Atmosphere) – गैस, जलवाष्प तथा धूलकण का आवरण जो पृथ्वी के चारो और सैकड़ों किलोमीटर तक बाहरी भाग को ढके हैं, वायुमंडल कहलाते है। इसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीज़न, कार्बन डाई-ऑक्साइड, हीलियम, ऑर्गन गैसें, जलवाष्प और धूलकण आदि प्रमुख हैं।
(2) अंतरिक्ष (Space) – पृथ्वी के वायुमंडल के परे दिक्कालीय विस्तार को अंतरिक्ष कहते है। अर्थात ब्रह्माण्ड का वह भाग जो पृथ्वी के वायुमंडल की सीमा की बहार हैं, अंतरिक्ष कहलाते है। पृथ्वी के अलावे अन्य सभी ग्रह, उपग्रह (चन्द्रमा सहित), तारामंडल व आकाशीय पिंड अंतरिक्ष में ही स्थित है।