कोशिका ( CELL ) : कोशिका का अध्ययन CYTOLOGY कहलाता है ।
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सर्वप्रथम कोशिका की खोज 1665 ई में राबर्ट हुक ने किया था । किन्तु इन्होने मृत कोशिका की खोज की थी । इन्हे FATHER OF CYTOLOGY कहते है ।
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सर्वप्रथम जीवित कौशिक की खोज 1674 ई में ऐन्टोनी वैन ल्यूवेन्हॉक ने किया था । इन्हे FATHER OF BACTRIOLOGY कहते है ।
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राबर्ट ब्राउन ने 1881 ई में कोशिका के अंदर केन्द्रक का खोज किया ।
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स्लाइडें एवं शवन ने कोशिका सिद्धांत दिया और कहा की शरीर कोशिकाओं से बना है अतः कोशिका शरीर की सबसे छोटी इकाई है ।
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मृत कोशिका को नेफरोसिस कहते है ।
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सबसे छोटी कोशिका माइक्रोप्लाज्मा की होती है ।
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सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे की होती है ।
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सबसे छोटी कोशिका तंत्रिका तंत्र या स्नायु की होती है ।
NOTE : (1) तंत्रिका कोशिका में किसी भी प्रकार का विभाजन नहीं होता है अतः यह क्षतिग्रस्त कोशिका को ठीक नहीं कर सकते है । इसी कारन सर में चोट लगने से शीघ्र ही मृत्यु हो जाती है ।
(2) सबसे तेजी से कोशिका विभाजन लिवर / यकृत में होता । यह अपने क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वतः ही ठीक कर सकती है ।
कोशिका के अंग :
जीवद्रव्य (Protoplasm)
इसकी खोज पुरकिंजे ने किया । यह एक तरल गाढ़ा पदार्थ होता है । इसे जीवन का आधार कहते है । सभी जैविक क्रिया इसी द्रव के अंदर होती है । इसका 80 % भाग जल का बना होता है । यह दो प्रकार का होता है –
1. कोशिका द्रव 2. केन्द्रिका द्रव : कोशिका द्रव कोशिका को सूखने से बचाती है ।
कोशिका भित्ति (Cell Wall) :
यह सेलुलोज का बना होता है और केवल पादपों में पाया जाता है । यह पेड़ – पोधो कप सुरक्षा देता है ।
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जीवाणु एक पादप होता है जिसकी कोशिका भित्ति ” पेप्टिडो ग्लाइकें ” की बानी होती है ।
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कवक की कोशिका भित्ति ” काइरीन ” की बानी होती है ।
कोशिका झिल्ली (CELL MEMBRANE )
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यह जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका दोनों में पाया जाता है ।
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कोशिका के अंदर के सभी अवयव इसी झिल्ली के अंदर रहता है ।
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यह कोधिका के अंदर जाने वाले पदार्थो का नियंत्रण करता है ।
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यह अर्धपारगम्य होता है । ( कुछ ही वस्तु को अंदर जाने देता है )
मैट्रोकॉंड्रिया (MITROCONDRIYA ) :
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इसकी खोज ऑल्टमैन ने किया है । यहाँ आक्सी स्वसन होता है ।
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यहाँ क्रेबस चक्र चलता है जिसके फलस्वरूप ATP तथा ग्लूकोज बनाते है और हमें ऊर्जा मिलती है । इसी कारन इसे कोशिका का पावर हाउस या शक्ति गृह कहते है ।
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मैट्रोकॉंड्रिया के आंतरिक दीवारों को क्रिस्टी कहते है ।
सेंटोसोम ( CENTROSOME) / तरककाय:
यह कोशिका विभाजन करता है । यह मस्तिक में नहीं पाया जाता है । जिस कारन तंत्रिका कोशिका में विभाजन नहींहोता है । यह केवल जंतु कोशिका में पाया जाता है ।
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पादप कोशिकाओं में कोशिका विभाजन CELL PLATE के द्वारा होता है ।
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CENTROSOME की खोज बोबरी ने किया था ।
लाइसोसोम (LYSOSOME) :
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यह कोशिका के अंदर पाचन का कार्य करता है । इसके अंदर जल अपघटक ,enzyme पाया जाता है ।
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कोशिका के अंदर अगर कोई अंग काम नहीं करता है तो यह उस अंग को नस्ट कर देता है ।
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जब पूरी कोशिका कार्य नहीं करती है तो यह काट जाता है जिससे पूरी कोशिका नष्ट हो जाती है , अतः इसे आत्महत्या की थैली या ,Atom bomb कहते है ।
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इसकी खोज ‘ डी डुबे’ ने किय था ।
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RBC के अंदर लाइसोसोम नहीं पाया जाता है । अतः आरबीसी मरने के बाद SPLEEN ( प्लीहा / तिल्ली ) में पाया जाता है । जिस कारण अस्थीलीन को RBC का कब्र कहते है .
केन्द्रक ( NUCLEOUS) :
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स्की खोज राबर्ट ब्राउन ने किया था ।
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यह कोशिका को नियंत्रित करता है अतः कोशिका का दिमाग कहते है ।
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इसमें 80% प्रोटीन पाया जाता है ।
रसघानी (VACUALES) ,
लवक( Plastide),
हरित लवक (Cholaroplas),
आवरणित लवक ( Leucoplast),
वर्णित लवक ( Cromoplast)