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वैधुत रसायन क्या है ? Electro Chemistry, part -01

वैधुत रसायन क्या है ? Electro Chemistry .वैद्युत रसायन, रसायन विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत उन रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जो विद्युत् धारा प्रवाहित करने के फलस्वरूप घटित होती है। 

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वैधुत रसायन क्या है ? Electro Chemistry

वैद्युत रसायन, रसायन विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत उन रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जो विद्युत् धारा प्रवाहित करने के फलस्वरूप घटित होती है।

वे यौगिक जो द्रवित अवस्था या जलीय घोल की अवस्था में विद्युत् के चालक होते है वैद्युत अपघट्य कहलाते है, जैसे अम्ल क्षार और लवण वैद्युत अपघट्य होते है। वे यौगिक जो द्रवित अवस्था या जलीय घोल की अवस्था में विद्युत् के अचालक होते है वैद्युत अनपघटय

कहलाते है। जैसे- चीनी, यूरिया क्लोरोफॉर्म आदि।

किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या घोल की अवस्था में विद्युत् धारा प्रवाहित कर अपघटित करने की क्रिया को वैद्युत अपघटन कहते है।

जिस बर्तन अपघट्य का घोल लेकर वैद्यतअपघटन की क्रिया सम्पन्न कराई जाती है उसे वैद्युत अपघटनी सेल कहते है। इस सेल में धातु की दो प्लेटें या तार डुबा दिए जाते है जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते है। ये इलेक्ट्रोड किसी बैटरी के ध्रुवों से जोड़ दिए जाते है जो इलेक्ट्रोड बैटरी के धन ध्रुव से जोड़ा जाता है उसे कैथोड कहते है ।

घोल में वैद्युत अपघट्य अंशतः या पूर्णतः विघटित होकर आवेशयुक्त परमाणुओं या मुलकों में टूट जाते है जिन्हें आयन कहते है। धन आवेशयुक्त आयन को धनायन (Cation) तथा ऋण आवेशयुक्त आयन को ऋणायन (Anion) कहते है। विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर धनायन कैथोड पर और ऋणायन एनोड पर मुक्त होते है। कैथोड पर अवकरण तथा एनोड पर आक्सीकरण की प्रतिक्रिया होती है।

अनेक प्रयोगों के आधार पर 1832 में माइकल फैराडे ने वैद्युत अपघटन के सम्बन्ध में दो नियमों की घोषणा की जिन्हें फैराडे के वैद्युत अपघटन के नियम कहते है —

1. प्रथम नियम :- ” वैद्युत अपघटन में प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर मुक्त होने वाले पदार्थ की मात्रा घोल में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के परिमाण के अनुपात में होती है। “

2. द्वितीय नियम :- यदि श्रेणीक्रम में जोड गये कई वैद्युत अपघट्य के घोलों से होकर एक ही विद्युत् धारा प्रवाहित की जाए तो मुक्त होने वाले पदार्थों की मात्राएँ उनके रासायनिक तुल्यांकों के समानुपाती होती है।

96494 कुलम्ब की विद्युत् धारा किसी घोल में से प्रवाहित करने पर पदार्थ का 1 तुल्यांकी भार मुक्त होता है। विद्युत् धारा के इस परिमाण को फैराडे कहते है। अर्थात 1 फैराडे (1F) = 96494 कुलम्ब।

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वैद्युत अपघटन के निम्लिखित मुख्य उपयोग है –

 a. विद्युत् लेपन में (Electro Plating) :-

निम्न कोटि की धातु को सुरक्षित रखने या उसको आकर्षक बनाने के लिए उस पर एक उच्च कोटि की धातु की एक पतली अस्तर चढ़ाने की क्रिया को विद्युत् लेपन कहते है।

b. विद्युत् मुद्रण में (Electro Typing):-

मुद्रण उद्योग में काम आने वाले ब्लॉक वैद्युत अपघटन विधि से ही तैयार किये जाते है।

c. धातुओं के विद्युत् शोधन में (Electro Refining of Metals) :-

कई धातुओं जैसे- ताम्बा चांदी सोना इत्यादि वैद्युत अपघटन क्रिया द्वारा ही शुद्ध रूप मर प्राप्त की जाती है।

d. विद्युत् धातुकर्म विज्ञान में (Electrometallurgy):-

अनेक धातुओं जैसे – सोडियम, पोटैशियम, एलुमिनियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि को उनके यौगिकों का वैद्युत

अपघटन करके निष्कर्षित किया जाता है।

e. धातुओं के तुल्यांकी भार ज्ञात करने में।

f. रासायनिक यौगिकों के निर्माण में:

वैद्युत अपघटन द्वारा अनेक औषधियां एवं कार्बनिक तथा अकार्बनिक यौगिक तैयार किये जाते है। उदाहरण के लिए सोडा, कास्टिक सोडा, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, क्लोरोफोर्म, आयडोफ़ार्म, एथेन, एसीटिलीन आदि इसी विधि से तैयार किये जाते है।

गैल्विनिक सेल वह युक्ति है जिसके द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए, डेनियल सेल एक प्रारुपी गैल्वेनिक से है। इस सेल में एक पात्र होता है जिसमें CuSo4 का सान्द्र घोल भरा रहता है और इसमें ताम्बे की एक छड़ डूबी रहती है इसके अंदर एक सरंध्र पात्र रहता है जिसमें तनु सल्फ्यूरिक अम्ल भरा रहता है और इसमें एक जस्ते की छड़ डूबी रहती है। जब जस्ते की छड़ तथा ताम्बे की छड़ को एक तार से जोड़ देते है तो विद्युत् धारा प्रवाहित होने लगती है। इस सेल में जस्ते की छड़ पर आक्सीकरण प्रतिक्रिया तथा ताम्बे की छड़ पर अवकरण प्रतिक्रिया होती है।

प्रत्येक सेल दो भागों में बना होता है। प्रत्येक को अर्द्धसेल (Half Cell) या इलेक्ट्रोड कहते है। एक इलेक्ट्रोड पर आक्सीकरण तथा दुसरे इलेक्ट्रोड पर अवकरण प्रतिक्रिया होती है। जिस इलेक्ट्रोड पर आक्सीकरण प्रतिक्रिया होती है उसको एनोड तथा जिस इलेक्ट्रोड पर अवकरण प्रतिक्रिया होती है उसको कैथोड कहा जाता है। डेनियल सेल में जस्ता एनोड तथा कॉपर कैथोड होता है।”

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