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बाबा तिलका मांझी : संक्षिप्त जीवन परिचय || Bioghraphy Of Tilka Manjhi In Hindi

बाबा तिलका मांझी अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह करनेवाले प्रथम आदिवासी ( संथाल जनजाति ) होने के कारण इस विद्रोह को आदि विदोह के नाम से भी जानते है । झारखण्ड के स्वतंत्रता सेनानियों में से प्रथम शहीद होने का गौरव प्राप्त है । तिलका मांझी को जबरा पहाड़िया के नाम से भी जाना जाता है । 1783 में तिलका मांझी के नेतृत्व में तिलका आंदोलन का प्रारम्भ हुआ था । अधिक जानकारी के लिए हमारे वेब साइट https://sikshakendra.com

बाबा तिलका मांझी अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह करनेवाले प्रथम आदिवासी ( संथाल जनजाति ) होने के कारण इस विद्रोह को आदि विदोह के नाम से भी जानते है । झारखण्ड के स्वतंत्रता सेनानियों में से प्रथम शहीद होने का गौरव प्राप्त है । तिलका मांझी को जबरा पहाड़िया के नाम से भी जाना जाता है1783 में तिलका मांझी के नेतृत्व में तिलका आंदोलन का प्रारम्भ हुआ था आंदोलन का मुख्य उद्देश्य आदिवासी स्वायत्ता की रक्षा एवं इस क्षेत्र में अंग्रेजो को बहार करना था । इन्होने गरीबो एवं जरुरतमंदो के बीच  अंग्रेजो के खजाना लूट कर बाटना प्रारम्भ किया था । बिद्रोहों का सन्देश गांव – गांव में सखुआ पत्ता घुमाकर किया गया । तिलका मांझी द्वारा छापामार युध्य का नेत्तृत्व सुल्तानगंज की पहाड़ियों से शुरी किया । अंग्रेजो के सेना नायक  आगस्टीन क्लीवलेंड  को तिलका मांझी ने तीर मारकर हत्या कर दी थी । अंग्रेजो के द्वार 1785 ईस्वी में धोखे  से तिलका मांझी को गिरफ़्तार कर लिया गया और इन्हे भागलपुर स्थित बरगद के पेड़ में लटका कर फँसी  दे दिया । जिस जगह में बाबा तिलका को फँसी में लटकाया गया था उस स्थान को वर्तमान में  बाबा तिलका मांझी चौंक के नाम से जाना जाता है । ये भारत के स्वाधीनता संग्राम के पहले विद्रोही शहीद तिलका मांझी थे । सर्वाधिक महतव की बात यह है की तिलका बिद्रोह में महिला ने भी काफी बड़ चढ़ कर हिस्सा लिया , जबकि भारतीय राष्टीय आंदोलन में महिलाओ ने काफी बाद में हिस्सा लेना शुरू किये थे । 

तिलका मांझी ने अपने किशोर जीवन में ही अपने परिवार तथा जाती पर अंग्रेजी सत्ता का अत्याचार देखा था ।  इनका जन्म 11 फरवरी 1750 ईस्वी में तिलकपुर नामक स्थान में हुआ था ।  तिलका मांझी के पिता का नाम सुंदरा मुर्मू  था । तिलका मांझी के दूसरा नाम जाबरा पहाड़िया  था । इनके विद्रोह का केंद्र बिंदु वनचरिजोर ( भागलपुर ) में स्थित था । इन्हिने ही अंग्रेजो के सेना  नायक  क्लीवलैंड की हत्या तीर  मारकर की  थी । विद्रोह में जनजाति समर्थन पाने के लिए इन्होने गांव – गांव सखुआ पत्ता घुमा कर किया था । तिलका मांझी की स्मृति के रूप में कचहरी के निकट , उनकी एक मूर्ति स्त्थापित किया गया है । भागलपुर में स्थितभागलपुर विश्विधालय का नाम बदलकर तिलका मांझी भागलपुर विश्विधालय  1991 ईस्वी में रखा गया है । 

बाबा तिलका का जन्म :

पिता का नाम :

क्लीवानलेंड  के साथ मुठभेड़13 जनवरी 1784 ईस्वी  में 

विद्रोह का स्वरुप  : गुरिल्ला युध्य ।

विद्रोह का कारण  :

विद्रोह का महत्तव :

जनकल्याण करि कार्य : 

बाबा तिलका को पकड़वाने वाला व्यक्ति :

        जाउराह ( पहाड़िया सरदार )

तिलका मांझी की शदहत :

                1785 ईस्वी ( भागलपुर में अंग्रेजो द्वारा बरगद के पेड़ पर लटका का फांसी दे दी ।)

 NOTE : बाबा तिलका मांझी को प्रथम शहीद होने का गौरव प्राप्त है ।

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