एक बार की बात है। तीन आदमी जो की वो स्वाभाव से दुस्ट थे, उन्हें एक पेड़ के नीचे बड़ा सा पत्थर दिखता है। उस पत्थर को हटाने पर उन्हें उसके नीचे लोहे के बक्से मिलते है जिसके अंदर सोने-चाँदी हीरे-जवाहरात भरा हुवा था। इस खजाना को देख वो तीनो आदमी काफी खुश होते है। अब उनमे से एक आदमी कुछ खाने-पिने के वस्तु खरीदने बाजार जाता है, ताकि वो इस खुसी को सेलिब्रेट कर सके। अब दो आदमी जो खजाने के पास थे, वे दोनों इस आदमी को मारने का सडयंत्र रचते है जिससे की वो खजाने को सिर्फ दो हिस्सों में बाँट सके।
अब वो तीसरा आदमी जो बाजार गया था। वो भी इन दोनों जैसा ही दुस्ट और चालक था। उसने सोचा क्यों न इन दोनों को मार कर मै ही पूरा ख़जाना हड़प लूँ। ये सोच कर उसने शराब और नमकीन ख़रीदा फिर उसमे जहर मिला दिया। अब जैसे ही ये आदमी अपने उन दोनों दोस्त के पास पहुँचता है। वे दोनों इसपर हमला कर देतें है और इस जान से मार देते है। अब वे दोनों खुशी-खुशी खजाने को दो हिस्सों बाँट लेते है। अब वो दोनों उस मृत दोस्त द्वारा लाया गया शराब को नमकीन के साथ पीने लगते है। अब उसमे मिले जहर से इन दोनों का भी वंही मृत्यु हो जाता है। इस कहानी से हमें ये सीखा मिलती है की बुरा का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है। अगर उनके अंदर लालच नहीं होता तो वे तीनो इस खजाने को आपस में बाँट कर अपने बाकि के जिंदगी आराम से गुजार सकते थे।
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